Thursday, October 1, 2009

DARD


एक सच्चाई को अफसाना बनाये कैसे ?
क़त्ल का राज़ जमाने से छिपाए कैसे ?


गम का तूफ़ान तो आँखों में सिमट जाता है |
दर्द जब हद से गुजरता है तो मिट जाता है ||
हम यह आईना हकीकत को दिखाए कैसे ?
क़त्ल का राज़ जमाने से छिपाए कैसे ?


आग घर की हो तो पानी से बुझा सकते है |
दर्द की आग को अश्को से बुझा सकते है ||
आग पानी मे लगी हो तो बुझाये कैसे ?
क़त्ल का राज़ जमाने से छिपाए कैसे ?


हरेक आँख मे अश्को का समन्दर आया |
हरेक दिल में गमो का है अँधेरा छाया||
ऐसे माहोल मे जश्न मनाये कैसे ?
क़त्ल का राज़ जमाने से छिपाए कैसे ?


बुझा चराग नशेमन को फूंक सकता है |
तैरने वाला भी साहिल पे डूब सकता है ||
जब बुरा वक़्त हो तो ख्वाब सजाये कैसे ?
क़त्ल का राज़ जमाने से छिपाए कैसे ?


हरेक लब पे है ताला तो क्या बया होगा |
राज़ इस क़त्ल का कैसे कहो अया होगा ||
इस अंधेरे मे कोई शम्मा जलाये कैसे ?
क़त्ल का राज़ जमाने से छिपाए कैसे ?


सबके दिल मे जो छिपा है वो नाम किसका है |
हर कोई सोच रहा है ये काम किसका है ||
उसके चेहरे पे पड़ा पर्दा हटाये कैसे ?
क़त्ल का राज़ जमाने से छिपाए कैसे ?


कौन दुश्मन है दोस्त कौन है खुदा जाने |
वो मसीहा है या कातिल है कौन पहचाने||
शक उंगली को किसी पर उठाये कैसे ?
क़त्ल का राज़ जमाने से छिपाए कैसे ?


हर नयी कीमती शय जो खरीद सकता था |
वो चंद लम्हे न अपने लिए खरीद सका ||
ये जो कानून है कुदरत का मिटाए कैसे ?
क़त्ल का राज़ जमाने से छिपाए कैसे ?


जिसने खुशिया ही बिखेरी हो सबके जीवन मे |
फूल ही जिसने सजाये हो सबके आगन मे ||
उसके जाने पे बहारों को मनाये कैसे ?
क़त्ल का राज़ जमाने से छिपाए कैसे ?

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